NEELAM GUPTA

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किया था वादा

किया था वादा। 

भोर भयो पनघट पर सब ।
सखियाँ मिल बतलाई।
गाए होरिया के गीत सब ।
ऋतु पिया मिलन की आई।

शर्म से झुकी झुकी नजरिया।
सखियों से नैना चुराए।
मोती बन आ गये अशुवन ।
पलकों बीच बैठ सताए।

पी विरह में पनिहारन।
गगरी ले चल उठाए।
चुनर गिर गिर जाए सिर से ।
गौरी सम्भल ना पाएँ।

फाल्गुन की बौछार उसके।
ह्दय को और तड़पाए।
पिछली बसन्त इसी पनघट पर।
परदेशी देखकर थी वह पलकें झुकाएं ।

प्यास बुझा कर चला गया अपनी।
पुनः मिलने कर वादा ।
आया ना दुबारा तकती रह गयी ।
अखियों से बहती सावन की धारा।

क्या बतलाएँ अब सखियों से।
इस भोर भये पनघट पर।
काल बनी सुबह की बेला ।
इन्तजार करती अंधियारी मरघट पर।

होली आ गयी लेकर रंगों की फुहार।
एक झलक जो दिखी पिया की।
विरहन भागन लागी उस और।
लगी गले से परदेशी के प्रेम रंग में रंग गयी।

नीलम गुप्ता🌹🌹 (नजरिया )🌹🌹
दिल्ली

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3 Comments

Aliya khan

04-Jun-2021 07:01 PM

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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Shatakshi Chaturvedi

04-Jun-2021 11:49 AM

🙏🙏 nice Creation mam।।

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Ravi Goyal

04-Jun-2021 09:57 AM

बहुत खूबसूरत रंगों से रची हुई रचना

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